चीन पर 100% टैरिफ: शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में क्या हुआ?
वैश्विक बाज़ारों की प्रतिक्रिया
शुक्रवार को अमेरिकी सरकार द्वारा चीन के उत्पादों पर 100% टैरिफ
टेक और मेगा-कैप स्टॉक्स को सबसे अधिक नुकसान हुआ, जिसमें Amazon, Nvidia, और Tesla जैसे शेयर 5% से अधिक टूट गए।
पूरा टेक्नोलॉजी सेक्टर लाल निशान में बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार के साथ-साथ यूरोप और एशिया के बाजारों में भी गिरावट देखी गई।
चीन की प्रतिक्रिया में तीखी बयानबाज़ी देखने को मिली, जिससे दिसंबर में प्रस्तावित Xi–Trump मुलाकात पर संदेह बढ़ गया।
स्रोत: ABC News, AP News, The Guardian, Reuters
विशेषज्ञों और ब्रोकरेज की राय: सोमवार क्या हो सकता है?
ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों के अनुसार, सोमवार को बाजार अस्थिर शुरुआत कर सकते हैं। निवेशक ‘सेफ हेवन’ संपत्तियों जैसे गोल्ड और सरकारी बॉन्ड्स की ओर रुख कर सकते हैं।
यदि चीन की प्रतिक्रिया आक्रामक रही, तो यह टैरिफ युद्ध एक दीर्घकालीन ट्रेड वॉर में बदल सकता है। इससे बाज़ारों में और दबाव आने की आशंका है।
कई रिपोर्ट्स मानती हैं कि वैश्विक नीति-निर्माताओं द्वारा त्वरित हस्तक्षेप से अस्थिरता कुछ हद तक थम सकती है। लेकिन अनिश्चितता उच्च स्तर पर बनी हुई है।
स्रोत: Fortune, Barron’s, Le Monde
भारत के लिए अवसर: वैश्विक सप्लाई शिफ्ट में बढ़त
भारत को क्यों मिल सकता है फायदा?
चीन पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए नए अवसर खुल सकते हैं। भारत पहले ही 2024-25 में अमेरिका को करीब $86 अरब का निर्यात कर चुका है, जो इसे एक अहम आपूर्तिकर्ता बनाता है।
भारतीय उत्पादकता, श्रम लागत में प्रतिस्पर्धा और सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं के चलते भारत कई कंपनियों की नजर में सप्लाई चेन के वैकल्पिक केंद्र के रूप में उभर सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी रिटेलर्स जैसे Target, Indian suppliers से नए संपर्क स्थापित कर रहे हैं ताकि चीन पर निर्भरता घटाई जा सके।
स्रोत: Economic Times, NDTV
कौन से भारतीय सेक्टर को मिलेगा सबसे ज़्यादा लाभ?
- टेक्सटाइल और गारमेंट्स – मूल्य-हस्तक्षेप वाले इन उत्पादों की मांग भारत से बढ़ सकती है।
- खिलौने और उपभोक्ता उत्पाद – अमेरिका और यूरोप के ब्रांड्स वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश में हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर – यदि भारत इनपुट सप्लाई की बाधाओं को दूर करे तो यह क्षेत्र प्रमुख लाभार्थी बन सकता है।
- फार्मास्यूटिकल्स – अमेरिका पहले ही भारत को फार्मा सप्लाई का भरोसेमंद स्रोत मानता है।
- औद्योगिक मशीनरी और ऑटो कंपोनेंट्स – चीन से शिफ्टिंग का सीधा लाभ इन क्षेत्रों को मिल सकता है।