भारत में डिजिटल करेंसी की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आ रहा है। RBI आर्थिक अनुमान 2025-26 के मुताबिक, डिजिटल रुपया अब सिर्फ एक पायलट प्रोजेक्ट नहीं रह गया है – यह भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली का अहम हिस्सा बनने की राह पर है।
यह गाइड उन लोगों के लिए है जो डिजिटल रुपये के बारे में जानना चाहते हैं – चाहे आप एक बिजनेसमैन हों, स्टूडेंट हों, या सिर्फ एक जागरूक नागरिक। हम यहाँ सरल भाषा में बताएंगे कि डिजिटल रुपया क्या है और यह आपकी जिंदगी को कैसे प्रभावित करेगा।
इस आर्टिकल में हम तीन मुख्य बातों पर फोकस करेंगे: पहले, हम देखेंगे कि डिजिटल रुपये की मुख्य विशेषताएं क्या हैं और इसके दो अलग-अलग प्रकार कैसे काम करते हैं। दूसरे, हम RBI पायलट प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति और इसके प्रदर्शन के बारे में बात करेंगे। तीसरे, हम जानेंगे कि आने वाले समय में डिजिटल रुपये का विस्तार कैसे होगा और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।
डिजिटल रुपये की मुख्य विशेषताएं और परिभाषा
डिजिटल रुपये की मुख्य विशेषताएं और परिभाषा
ब्लॉकचेन आधारित केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का परिचय
डिजिटल रुपया भारत की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) है, जो पारंपरिक फिएट करेंसी का डिजिटल प्रतिनिधित्व करती है। यह एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत डिजिटल करेंसी है जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाती है और ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। डिजिटल रुपये की विशेषताएं इसे क्रिप्टोकरेंसी और पारंपरिक डिजिटल भुगतान प्रणालियों से अलग बनाती हैं।
यह डिजिटल मुद्रा केंद्रीय बैंक की पूर्ण गारंटी के साथ आती है और इसका मूल्य भौतिक रुपये के समान होता है। CBDC भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भौतिक रुपये के साथ समानता और अंतर
डिजिटल रुपया और भौतिक रुपये के बीच मुख्य समानताएं निम्नलिखित हैं:
विशेषता | डिजिटल रुपया | भौतिक रुपया |
---|---|---|
जारीकर्ता | RBI | RBI |
कानूनी स्थिति | कानूनी मुद्रा | कानूनी मुद्रा |
मूल्य स्थिरता | 1:1 समानता | आधार मुद्रा |
स्वीकार्यता | सार्वभौमिक | सार्वभौमिक |
मुख्य अंतर:
- भंडारण: डिजिटल रुपया डिजिटल वॉलेट में संग्रहीत होता है, जबकि भौतिक रुपया फिजिकल रूप में रखा जाता है
- स्थानांतरण: डिजिटल रुपया तुरंत और 24×7 स्थानांतरित हो सकता है
- ट्रेसेबिलिटी: डिजिटल रुपये में बेहतर ट्रैकिंग और पारदर्शिता है
- लागत: डिजिटल भुगतान प्रणाली में कम परिचालन लागत
टोकन-आधारित और अकाउंट-आधारित सिस्टम की संरचना
RBI पायलट प्रोजेक्ट में दो प्रकार की संरचनाओं का परीक्षण किया जा रहा है:
टोकन-आधारित सिस्टम (Token-based System)
- विशेषताएं:
- डिजिटल टोकन के रूप में मुद्रा का प्रतिनिधित्व
- ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा
- निजता की बेहतर सुरक्षा
- नकद के समान गुमनामता
अकाउंट-आधारित सिस्टम (Account-based System)
- विशेषताएं:
- बैंक खातों से जुड़ी प्रणाली
- KYC आवश्यकताओं का सख्त पालन
- बेहतर निगरानी और अनुपालन
- ऑनलाइन लेनदेन पर केंद्रित
यह दोहरी संरचना विभिन्न उपयोगकर्ता आवश्यकताओं को पूरा करने और डिजिटल करेंसी के फायदे को अधिकतम करने के लिए डिज़ाइन की गई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार, यह संयुक्त दृष्टिकोण भारत की विविध वित्तीय आवश्यकताओं के लिए एक समग्र समाधान प्रदान करता है।
डिजिटल रुपये के दो मुख्य प्रकार
डिजिटल रुपये के दो मुख्य प्रकार
भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को दो अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया है, जो विभिन्न उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
होलसेल डिजिटल रुपया (e₹-W) – वित्तीय संस्थानों के लिए
RBI ने वित्तीय संस्थानों के बीच इंटरबैंक निपटान के लिए होलसेल डिजिटल रुपया (e₹-W) लॉन्च किया है। यह पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर 2022 को शुरू की गई थी, जिसमें इसका उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान तक सीमित था।
प्रमुख भागीदार बैंक:
- भारतीय स्टेट बैंक
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- एचडीएफसी बैंक
- आईसीआईसीआई बैंक
- कोटक महिंद्रा बैंक
- यस बैंक
- आईडीएफसी फर्स्ट बैंक
- एचएसबीसी
नवंबर 2022 में, e₹-W ने औसतन प्रति दिन ₹3.25 बिलियन मूल्य के सौदे किए। इस प्रणाली से इंटर-बैंक बाजार अधिक कुशल होने की उम्मीद है।
रिटेल डिजिटल रुपया (e₹-R) – उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए
उपभोक्ता और व्यावसायिक लेनदेन के लिए रिटेल डिजिटल रुपया (e₹-R) 1 दिसंबर 2022 को लॉन्च किया गया। यह पायलट प्रोजेक्ट चरणबद्ध तरीके से विस्तार कर रहा है:
चरण-1 शहर (1 दिसंबर 2022):
- मुंबई
- नई दिल्ली
- बेंगलुरु
- भुवनेश्वर
चरण-2 शहर:
- अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला
तकनीकी सुविधाएं:
- P2P (व्यक्ति-से-व्यक्ति) और P2M (व्यक्ति-से-व्यापारी) दोनों का समर्थन
- QR कोड के माध्यम से भुगतान की सुविधा
- व्यक्तिगत वॉलेट में ट्रांसफर के बाद छोटी रकम के लेनदेन की गुमनामी
दोनों प्रकारों के उपयोग और लाभ
मुख्य अंतर और उपयोग:
- e₹-W: वित्तीय संस्थानों के लिए इंटरबैंक निपटान
- e₹-R: उपभोक्ता और व्यावसायिक लेनदेन
व्यापक लाभ:
- भौतिक नकदी प्रबंधन की लागत में कमी
- कुशल मौद्रिक भुगतान प्रणाली का निर्माण
- वित्तीय समावेशन में वृद्धि
- बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन
केंद्रीय बैंक के पैसे में निपटान से निपटान गारंटी इंफ्रास्ट्रक्चर या निपटान जोखिम को कम करने के लिए संपार्श्विक की आवश्यकता को रोकने से लेनदेन लागत कम होगी। CBDC उपयोगकर्ताओं के लिए एक अतिरिक्त भुगतान माध्यम होगा और मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलने का इरादा नहीं है।
पायलट प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति और प्रदर्शन
पायलट प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति और प्रदर्शन
15 बैंकों द्वारा CBDC वॉलेट की पेशकश
वर्तमान में डिजिटल रुपये की पायलट परियोजना में 15 प्रमुख बैंक सक्रिय रूप से CBDC वॉलेट सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थान शामिल हैं। यह व्यापक नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि CBDC भारत की डिजिटल करेंसी का परीक्षण विभिन्न बैंकिंग प्लेटफॉर्म पर किया जा सके।
इन बैंकों का सहयोग RBI पायलट प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विविध ग्राहक आधार तक पहुंच प्रदान करता है। प्रत्येक बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल रुपये की विशेषताएं और उपयोग के तरीकों से परिचित कराने में योगदान दे रहा है।
दैनिक लेनदेन में 1 मिलियन का लक्ष्य प्राप्ति
खुदरा क्षेत्र में डिजिटल रुपये के उपयोग में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। RBI ने 27 दिसंबर 2023 को दस लाख दैनिक लेनदेन का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल कर लिया। यह उपलब्धि डिजिटल भुगतान प्रणाली के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।
सिस्टम की बड़े पैमाने पर स्थायित्व का आकलन करने के उद्देश्य से, RBI ने डिजिटल रुपये के लिए प्रतिदिन दस लाख खुदरा लेनदेन का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस लक्ष्य को दिसंबर 2023 तक पूरा करने से यह स्पष्ट हो गया कि तकनीकी अवसंरचना बड़े पैमाने के लेनदेन को संभालने में सक्षम है।
उपयोगकर्ता स्वीकृति में चुनौतियां और वर्तमान आंकड़े
हालांकि तकनीकी लक्ष्य प्राप्त किए गए हैं, डिजिटल रुपये की उपयोगकर्ता स्वीकृति में गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं। 2024 के अंत तक, डिजिटल रुपये का उपयोग कुल प्रचलन में मौजूद बैंक नोटों का लगभग 0.006% था, जो पायलट परियोजनाओं के लगभग दो वर्षों के संचालन के बावजूद अत्यंत कम है।
थोक खंड का प्रदर्शन और भी निराशाजनक रहा है। मार्च 2023 में ₹10 करोड़ से घटकर मार्च 2024 में इसका मूल्य केवल ₹0.08 करोड़ रह गया, जो इस सेगमेंट में स्वीकार्यता की कमी को दर्शाता है।
सिस्टम स्ट्रेस टेस्ट के समापन के बाद, जून 2024 तक दैनिक लेनदेन की संख्या घटकर 100,000 हो गई। यह कमी इस बात का प्रमाण है कि आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार वास्तविक उपयोगकर्ता अपनाने में कठिनाइयां हैं।
बैंकरों का कहना है कि डिजिटल रुपये का उपयोग अनिवार्य रूप से इंटरनेट बैंकिंग के समान था, जिससे ग्राहक पहले से ही संतुष्ट थे। इसलिए हितधारक कोई स्पष्ट अतिरिक्त लाभ नहीं देख रहे हैं, जो व्यापक स्वीकृति में बाधा बन रहा है।
तकनीकी सुविधाएं और नवाचार
तकनीकी सुविधाएं और नवाचार
डिजिटल रुपये की सफलता काफी हद तक इसकी उन्नत तकनीकी क्षमताओं पर निर्भर करती है। RBI के डिजिटल करेंसी प्रोजेक्ट में कई अत्याधुनिक तकनीकी समाधान शामिल हैं जो इसे पारंपरिक भुगतान प्रणालियों से अलग बनाते हैं।
UPI इंटरऑपरेबिलिटी और QR कोड पेमेंट सिस्टम
डिजिटल रुपये की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी UPI के साथ पूर्ण इंटरऑपरेबिलिटी है। यह एकीकरण उपयोगकर्ताओं को मौजूदा QR कोड infrastructure का उपयोग करके डिजिटल रुपये से भुगतान करने की सुविधा प्रदान करता है। व्यापारी अपने मौजूदा QR कोड को अपडेट किए बिना ही डिजिटल रुपये के भुगतान स्वीकार कर सकते हैं।
यह तकनीकी समाधान विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहां छोटे दुकानदार और vendors पहले से ही QR कोड आधारित भुगतान प्रणाली से परिचित हैं। डिजिटल रुपये का UPI ecosystem के साथ seamless integration adoption की गति को तेज़ करने में सहायक है।
ऑफलाइन लेनदेन की क्षमता और प्रोग्रामेबिलिटी
डिजिटल रुपये की एक अनूठी विशेषता इसकी ऑफलाइन लेनदेन की क्षमता है। Near Field Communication (NFC) तकनीक का उपयोग करके, यह इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भी लेनदेन को सक्षम बनाता है। यह सुविधा विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहां नेटवर्क connectivity की समस्या होती है।
प्रोग्रामेबिलिटी की सुविधा डिजिटल रुपये को smart contracts के साथ integrate करने की अनुमति देती है। इससे targeted subsidies, conditional cash transfers, और specific use-case scenarios के लिए customized solutions विकसित किए जा सकते हैं। यह feature सरकारी योजनाओं के implementation में पारदर्शिता और efficiency लाने की संभावना प्रदान करता है।
क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट और अंतर्राष्ट्रीय निपटान की संभावनाएं
अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के क्षेत्र में डिजिटल रुपया एक revolutionary change ला सकता है। पारंपरिक cross-border payments में जो समय और लागत लगती है, डिजिटल करेंसी उसे significantly कम कर सकती है। विशेष रूप से remittances के क्षेत्र में, जहां भारत world का largest receiver है, यह technology game-changing साबित हो सकती है।
Central Bank Digital Currencies के बीच direct integration की संभावना भविष्य में bilateral trade settlements को और भी efficient बना सकती है। यह traditional correspondent banking system की dependency को कम करके international trade में भारत की position को मजबूत बनाने की क्षमता रखता है।
Now that we have covered the key technical innovations, यह स्पष्ट है कि डिजिटल रुपये की तकनीकी architecture न केवल current financial ecosystem के साथ compatible है बल्कि future की जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम है।
आर्थिक प्रभाव और लागत बचत
आर्थिक प्रभाव और लागत बचत
भौतिक करेंसी प्रिंटिंग में ₹40,000 करोड़ की बचत
डिजिटल रुपये के कार्यान्वयन का सबसे तत्काल और महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ भौतिक मुद्रा से जुड़ी लागतों में भारी कमी है। वर्तमान में भारत भौतिक मुद्रा के उत्पादन, प्रिंटिंग और प्रबंधन पर लगभग ₹42 बिलियन (US$500 मिलियन) वार्षिक खर्च कर रहा है।
CBDC का उपयोग करके देश इस खर्च को लगभग ₹40,000 करोड़ तक कम कर सकता है। यह बचत न केवल RBI के लिए बल्कि पूरी वित्तीय प्रणाली के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इसमें आम जनता, व्यवसायों और बैंकों द्वारा वहन की जाने वाली सुरक्षा मुद्रण लागत भी शामिल है।
डिजिटल रुपये की तकनीकी अवसंरचना एक बार स्थापित होने के बाद, भौतिक मुद्रा की आवश्यकता में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर काफी आर्थिक बचत होगी।
लेनदेन लागत में कमी और वित्तीय समावेशन
डिजिटल रुपये का एक प्रमुख उद्देश्य लेनदेन लागत को कम करना है, जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण को अधिक कुशल और सुलभ बनाता है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के माध्यम से निपटान केंद्रीय बैंक के पैसे में होता है, जिससे निपटान गारंटी इंफ्रास्ट्रक्चर या निपटान जोखिम को कम करने के लिए संपार्श्विक की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा समर्थित डिजिटल वॉलेट के माध्यम से किए गए लेनदेन अंतिम और अपरिवर्तनीय होंगे, जिससे वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम काफी कम हो जाएगा।
वित्तीय समावेशन के दृष्टिकोण से, यह विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। वर्तमान में उन्हें उच्च प्रेषण शुल्क का सामना करना पड़ता है, लेकिन डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से यह लागत काफी कम हो जाएगी।
CBDC का लक्ष्य बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन और प्रोत्साहन करना, भौतिक नकदी प्रबंधन की लागत को कम करना और एक कुशल मौद्रिक भुगतान प्रणाली बनाना है।
डॉलर पर निर्भरता कम करने की संभावना
लंबी अवधि में, डिजिटल रुपया अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर भारत की निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सीमा पार लेनदेन के लिए यह एक मजबूत विकल्प प्रदान करके RBI आर्थिक अनुमान 2025-26 के अनुकूल परिणाम ला सकता है।
यह संभावित रूप से वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की स्थिति को मजबूत कर सकता है और देश की आर्थिक संप्रभुता का समर्थन कर सकता है। डिजिटल रुपये के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार समझौतों में स्थानीय मुद्रा का उपयोग बढ़ सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा।
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के संदर्भ में, यह रणनीति भारत को वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं से बचाने में सहायक होगी और मुद्रा स्वतंत्रता को बढ़ावा देगी।
वर्तमान चुनौतियां और बाधाएं
वर्तमान चुनौतियां और बाधाएं
डिजिटल रुपये के विकास और कार्यान्वयन में RBI को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान मिले अनुभवों से यह स्पष्ट हो गया है कि CBDC भारत की व्यापक स्वीकृति के लिए कुछ मुख्य बाधाओं को पार करना आवश्यक है।
कम उपयोगकर्ता स्वीकृति और अपनाने की दर
डिजिटल रुपये के सामने सबसे बड़ी चुनौती उपयोगकर्ताओं की धीमी स्वीकृति दर है। प्रारंभिक पायलट चरण में भाग लेने वाले उपयोगकर्ताओं में से कई ने शुरुआती उत्साह के बाद इसका नियमित उपयोग बंद कर दिया है। मुख्य कारणों में डिजिटल करेंसी के फायदे की स्पष्ट समझ का अभाव, तकनीकी जटिलता की धारणा, और पारंपरिक नकदी के प्रति लगाव शामिल है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्टफोन की पहुंच और डिजिटल साक्षरता की कमी भी एक प्रमुख बाधा है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की सफलता के लिए व्यापक जनता का विश्वास और समझ आवश्यक है, जिसमें अभी भी काफी सुधार की गुंजाइश है।
UPI जैसी मौजूदा सिस्टम से प्रतिस्पर्धा
भारत में UPI की व्यापक सफलता डिजिटल रुपये के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करती है। UPI पहले से ही तत्काल, सुविधाजनक और लागत-प्रभावी डिजिटल भुगतान समाधान प्रदान करता है। उपयोगकर्ता पहले से ही इस प्रणाली से संतुष्ट हैं और डिजिटल रुपये में बदलने के लिए कोई स्पष्ट प्रेरणा नहीं दिखती।
डिजिटल भुगतान प्रणाली में UPI का मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र, व्यापारियों की व्यापक स्वीकृति, और उपयोगकर्ता-मित्र इंटरफेस के कारण CBDC भारत को अपनी अलग पहचान बनाने में कठिनाई हो रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार, यह प्रतिस्पर्धा डिजिटल रुपये के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती है।
बैंकिंग संचालन में जटिलता और अतिरिक्त कार्यभार
बैंकों के लिए डिजिटल रुपये का कार्यान्वयन अतिरिक्त परिचालन जटिलता लेकर आया है। मौजूदा बैंकिंग प्रणालियों के साथ CBDC का एकीकरण, नई तकनीकी अवसंरचना का विकास, और कर्मचारियों का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण संसाधनों की मांग करता है।
RBI पायलट प्रोजेक्ट के दौरान बैंकों को ग्राहक सहायता, तकनीकी समस्या निवारण, और नियामक अनुपालन के क्षेत्र में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक नीति के तहत इन बाधाओं को दूर करने के लिए निरंतर सुधार और समायोजन की आवश्यकता है।
भविष्य की योजनाएं और विस्तार रणनीति
भविष्य की योजनाएं और विस्तार रणनीति
डिजिटल रुपये की वर्तमान सफलताओं को देखते हुए, RBI ने इसके व्यापक विस्तार के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की है। यह रणनीति न केवल तकनीकी उन्नयन पर केंद्रित है, बल्कि उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने और डिजिटल भुगतान प्रणाली को और भी सुगम बनाने पर भी जोर देती है।
गूगल पे, फोनपे जैसे पेमेंट प्लेटफॉर्म का एकीकरण
डिजिटल रुपये की व्यापक स्वीकार्यता के लिए, RBI मौजूदा लोकप्रिय भुगतान प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण की दिशा में काम कर रहा है। गूगल पे और फोनपे जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म के साथ डिजिटल रुपये का एकीकरण उपभोक्ताओं के लिए एक परिचित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करेगा।
इस एकीकरण के माध्यम से, उपभोक्ता अपने पसंदीदा ऐप के द्वारा ही डिजिटल रुपये का उपयोग कर सकेंगे, जिससे नए ऐप सीखने की आवश्यकता नहीं होगी। यह दृष्टिकोण अपनाकर, CBDC भारत की पहुंच व्यापक जनसंख्या तक तेजी से हो सकेगी।
विभिन्न क्षेत्रों में प्रोग्रामेबल फीचर्स का विस्तार
डिजिटल रुपये की प्रोग्रामेबल विशेषताओं का विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। सरकारी योजनाओं में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर में विशिष्ट उद्देश्यों के लिए धन का उपयोग सुनिश्चित करने तक, प्रोग्रामेबल फीचर्स अनेक संभावनाएं प्रदान करते हैं।
शिक्षा क्षेत्र में छात्रवृत्ति के सीधे वितरण, कृषि क्षेत्र में सब्सिडी का लक्षित उपयोग, और स्वास्थ्य बीमा में तत्काल क्लेम सेटलमेंट जैसे अनुप्रयोग प्रोग्रामेबल फीचर्स के माध्यम से संभव होंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर चरणबद्ध रोलआउट की तैयारी
RBI पायलट प्रोजेक्ट से मिले अनुभव के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल रुपये का चरणबद्ध विस्तार कर रहा है। यह रोलआउट तीन चरणों में विभाजित है – पहले प्रमुख शहरों में विस्तार, फिर टियर-2 और टियर-3 शहरों में पहुंच, और अंत में ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक उपलब्धता।
इस रणनीति में बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों का विस्तार, और साइबर सिक्योरिटी उपायों को मजबूत बनाना शामिल है। डिजिटल करेंसी के फायदे को व्यापक स्तर पर पहुंचाने के लिए, विभिन्न भाषाओं में यूजर इंटरफेस और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष फीचर्स भी विकसित किए जा रहे हैं।
डिजिटल रुपये का सफर अब तक चुनौतियों और संभावनाओं से भरा रहा है। तकनीकी नवाचार और ऑफलाइन सुविधाओं के साथ-साथ UPI इंटरऑपरेबिलिटी जैसी विशेषताओं ने इसकी उपयोगिता बढ़ाई है। हालांकि, उपयोगकर्ता स्वीकृति अभी भी कम है – कुल नोटों के संचलन का केवल 0.006% हिस्सा डिजिटल रुपये के रूप में उपयोग हो रहा है। भौतिक मुद्रा प्रबंधन में ₹40,000 करोड़ की बचत की संभावना और क्रॉस-बॉर्डर भुगतान में सुधार जैसे फायदे स्पष्ट हैं।
आगे की राह में RBI की रणनीतिक योजनाओं और नीति निर्माताओं के निरंतर प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रोग्रामेबिलिटी फीचर का विस्तार और अधिक उपयोग मामलों में इसका प्रयोग डिजिटल रुपये को मुख्यधारा में लाने की दिशा में सकारात्मक कदम है। यदि तकनीकी चुनौतियों का समाधान किया जा सके और उपयोगकर्ता जागरूकता बढ़ाई जा सके, तो डिजिटल रुपया भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।