शैलेन्द्र सिंह गौर का इंजन: 1 लीटर में 176 किलोमीटर तक चलने वाला चमत्कारी इंजन?
शैलेन्द्र सिंह गौर का दावा — “मेरे इंजन ने सड़क पर 1 लीटर में 176 किलोमीटर का माइलेज दिया”
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शैलेन्द्र सिंह गौर ने एक ऐसा इंजन विकसित किया है, जो कथित तौर पर 1 लीटर ईंधन में 176 किलोमीटर तक चल सकता है। यह दावा सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।
“176 से थोड़ा ज़्यादा किलोमीटर चले हैं…” — गौर का बयान
“एक लीटर में 176 से थोड़ा सा ज़्यादा चला था, और वैसे ये 200+ किलोमीटर तक जाना चाहिए। अभी इसकी R&D बहुत क्रूड फॉर्म में है, लेकिन मैं इसे लगातार बेहतर बना रहा हूँ,” — शैलेन्द्र सिंह गौर।
गौर के अनुसार, उन्होंने इस इंजन को अपने व्यक्तिगत प्रयासों और सीमित संसाधनों से तैयार किया है। उनका दावा है कि यह इंजन पारंपरिक चार-स्ट्रोक इंजन की तुलना में ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करता है और छह-स्ट्रोक (6-stroke) तकनीक पर आधारित है, जिससे ईंधन दक्षता कई गुना बढ़ जाती है।
इंजन की खासियतें
- 6-स्ट्रोक डिज़ाइन — पारंपरिक 4-स्ट्रोक इंजन से अधिक कार्यकुशलता।
- कई प्रकार के ईंधनों (पेट्रोल, डीज़ल, CNG, इथेनॉल) पर चलने की क्षमता।
- कम कार्बन उत्सर्जन और ताप अपव्यय को घटाने का दावा।
- दो पेटेंट आवेदन दाखिल करने का उल्लेख।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
हालांकि यह दावा आकर्षक है, लेकिन अभी तक किसी भी स्वतंत्र ऑटोमोबाइल संस्था या तकनीकी संस्थान ने इसकी पुष्टि नहीं की है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का कहना है कि इतने उच्च माइलेज को हासिल करने के लिए इंजन की थर्मल एफ़िशिएंसी को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाना होगा, जो अभी तक किसी व्यावसायिक वाहन में संभव नहीं हुआ है।
विशेषज्ञों का मत है कि अगर यह इंजन वास्तविक परीक्षणों में अपने दावों पर खरा उतरता है, तो भारत के ईंधन उपभोग और प्रदूषण नियंत्रण पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
अभी आर एंड डी के प्रारंभिक चरण में
शैलेन्द्र सिंह गौर ने बताया कि उनका प्रोजेक्ट अभी शुरुआती स्तर पर है और उन्हें इसे व्यावसायिक स्तर पर विकसित करने के लिए सहयोग की ज़रूरत है। वे कहते हैं कि “जहां मैं इंजन बनवाने जाता हूँ, वहां संसाधन सीमित हैं, पर मैं इसे एक प्रोडक्शन मॉडल तक ले जाने के लिए प्रयासरत हूँ।”
क्या यह भारत की अगली बड़ी इनोवेशन स्टोरी हो सकती है?
अगर यह इंजन वास्तविक परीक्षणों में अपने दावों पर खरा उतरता है, तो यह भारत की स्वदेशी तकनीकी नवाचार कहानी में एक नया अध्याय जोड़ सकता है। हालांकि, फिलहाल इसके प्रदर्शन की स्वतंत्र जांच, पेटेंट विवरण और वास्तविक सड़क परीक्षण रिपोर्ट का इंतजार है।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल सूचना देना है। JagSeva इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता।
स्रोत: Hindustan Times रिपोर्ट,
YouTube वीडियो,
X पोस्ट
शैलेन्द्र सिंह गौर का दावा — “मेरे इंजन ने सड़क पर 1 लीटर में 176 किलोमीटर का माइलेज दिया”
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शैलेन्द्र सिंह गौर ने एक ऐसा इंजन विकसित किया है, जो कथित तौर पर 1 लीटर ईंधन में 176 किलोमीटर तक चल सकता है। यह दावा सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।
“176 से थोड़ा ज़्यादा किलोमीटर चले हैं…” — गौर का बयान
“एक लीटर में 176 से थोड़ा सा ज़्यादा चला था, और वैसे ये 200+ किलोमीटर तक जाना चाहिए। अभी इसकी R&D बहुत क्रूड फॉर्म में है, लेकिन मैं इसे लगातार बेहतर बना रहा हूँ,” — शैलेन्द्र सिंह गौर।
गौर के अनुसार, उन्होंने इस इंजन को अपने व्यक्तिगत प्रयासों और सीमित संसाधनों से तैयार किया है। उनका दावा है कि यह इंजन पारंपरिक चार-स्ट्रोक इंजन की तुलना में ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करता है और छह-स्ट्रोक (6-stroke) तकनीक पर आधारित है, जिससे ईंधन दक्षता कई गुना बढ़ जाती है।
इंजन की खासियतें
- 6-स्ट्रोक डिज़ाइन — पारंपरिक 4-स्ट्रोक इंजन से अधिक कार्यकुशलता।
- कई प्रकार के ईंधनों (पेट्रोल, डीज़ल, CNG, इथेनॉल) पर चलने की क्षमता।
- कम कार्बन उत्सर्जन और ताप अपव्यय को घटाने का दावा।
- दो पेटेंट आवेदन दाखिल करने का उल्लेख।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
हालांकि यह दावा आकर्षक है, लेकिन अभी तक किसी भी स्वतंत्र ऑटोमोबाइल संस्था या तकनीकी संस्थान ने इसकी पुष्टि नहीं की है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का कहना है कि इतने उच्च माइलेज को हासिल करने के लिए इंजन की थर्मल एफ़िशिएंसी को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाना होगा, जो अभी तक किसी व्यावसायिक वाहन में संभव नहीं हुआ है।
विशेषज्ञों का मत है कि अगर यह इंजन वास्तविक परीक्षणों में अपने दावों पर खरा उतरता है, तो भारत के ईंधन उपभोग और प्रदूषण नियंत्रण पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
अभी आर एंड डी के प्रारंभिक चरण में
शैलेन्द्र सिंह गौर ने बताया कि उनका प्रोजेक्ट अभी शुरुआती स्तर पर है और उन्हें इसे व्यावसायिक स्तर पर विकसित करने के लिए सहयोग की ज़रूरत है। वे कहते हैं कि “जहां मैं इंजन बनवाने जाता हूँ, वहां संसाधन सीमित हैं, पर मैं इसे एक प्रोडक्शन मॉडल तक ले जाने के लिए प्रयासरत हूँ।”
क्या यह भारत की अगली बड़ी इनोवेशन स्टोरी हो सकती है?
अगर यह इंजन वास्तविक परीक्षणों में अपने दावों पर खरा उतरता है, तो यह भारत की स्वदेशी तकनीकी नवाचार कहानी में एक नया अध्याय जोड़ सकता है। हालांकि, फिलहाल इसके प्रदर्शन की स्वतंत्र जांच, पेटेंट विवरण और वास्तविक सड़क परीक्षण रिपोर्ट का इंतजार है।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल सूचना देना है। JagSeva इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता।
स्रोत: Hindustan Times रिपोर्ट, YouTube वीडियो, X पोस्ट